चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन बन रहा है यात्रियों के निकट संबंधियों के लिए ठगी का अड्डा, देखें कैसे हो रही लूट
- By Vinod --
- Sunday, 12 Feb, 2023
Chandigarh railway station became a place of fraud
Chandigarh railway station became a place of fraud- केन्द्र सरकार की जहां एक तरफ चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन को वल्र्ड क्लॉस बनाने की योजना है तो वहीं स्टेशन पर इन दिनों जारी स्मार्ट पार्किंग को लेकर नित हो रहे नए-नए विवाद से स्टेशन की व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। स्टेशन पर पिक एंड ड्राप पार्किंग में ये ठगी का खेल 200 रुपए के जुर्माना को लेकर हो रहा है, जिस पर स्टेशन अथॉरिटी काबू पाने में पूरी तरह फेल साबित हुआ है। हालात ये हैं कि रेलवे अथॉरिटी का हर दावा उलट साबित हो रहा है। यहां तक कि अंबाला से डीआरएम इस विवाद को सुलझाने के लिए पार्किंग का निरीक्षण करने पहुंचे थे, लेकिन इसका भी असर न तो पार्किंग ठेकेदार पर पड़ा और न ही व्यवस्था में बदलाव किया गया। पार्किंग में लोगों का विवाद ही लोगों की जेब ढीली कर रहा है। इस विवाद से न तो आम लोग बच पा रहे हैं और न ही वीआईपी।
लोग अथॉरिटी पर पिक एंड ड्राप की सुविधा को लूट का अड्डा कहने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। दरअसल, इस समस्या से निपटने के लिए रेलवे ने सिस्टम बनाया है। पार्किंग में तीन लेन बनाई गई हैं, जिनमें से एक लेन पिक एंड ड्राप के लिए हैं जबकि दूसरी लाइन कमर्शियल व्हीकल के लिए है और तीसरी लाइन पब्लिक पार्किंग में जाने के लिए है। शताब्दी आते ही पब्लिक लाइन फुल हो जाती है। पार्किंग में छह मिनट इस लाइन को पूरा करने में बीत जाते हैं। जबकि रेलवे दावा कर रहा है कि डीआरएम के निरीक्षण के बाद हालात पर काबू पा लिया गया है। अब इस लेन में किसी व्हीकल को खड़ा नहीं होने दिया जाता, जिससे व्यवस्था पूरी तरह ठीक हो चुकी है। मगर हालात इससे बिल्कुल उलट हैं। यात्रियों के लिये ये सुविधा ही गले की फांस बन गई है।
स्टेशन पर यात्रियों को लेने आने वाले उनके संबंधियों की माने तो वे पार्किंग में दाखिल होते हैं और यात्री को बिठाकर जैसे ही एग्जिट के लिए आगे बढऩे लगते हैं तो कारिंदें यही 200 रुपए का जुर्माना वसूलने के लिए यात्रियों से उलझते दिखाई देते हैं। लोग अपनी घड़ी को झांकने लगते हैं मगर टाइम पूरा होते ही कारिंदे कतार में खड़े वाहनों से 200 रुपए पेनल्टी कहकर ये जुर्माना देने की जिद पर अड़े रहते हैं। यही विवाद है जो लोगों को चैन नहीं लेने दे रहा है।
अर्थ प्रकाश की ग्राउंड रिपोर्ट में सच आया सामने
अर्थ प्रकाश की ग्राउंड की रिपोर्ट के अनुसार, कई बातों में रेलवे विभाग व पार्किंग ठेकेदार के सभी दावे खोखले नजर आ रहे हैं। पार्किंग ठेकेदारों का कहना है कि जो टाइम और जुर्माना लेने का जो निर्णय लिया जाता है वह रेलवे विभाग की तरफ से लिया गया है। लेकिन जब उनसे पूछा जाता है कि क्या यह उचित है तो उनका कहना है कि हम इस मामले में कुछ नहीं कह सकते। ये रेलवे विभाग ने आदेश जारी किए हैं। इस संबंध में मौके पर खड़े पार्किंग ठेकेदार के मैनेजर पप्पू और विनय महेंद्रू का भी मानना है कि जब उनसे यह पूछा गया कि अगर कोई यात्री अपने रिश्तेदार व बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं के साथ आता है, तो क्या संभव है कि 15 मिनट में समस्या से निजात पा सकता है। तो उन्होंने ने भी कहा कि यह असंभव है लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि एक मिनट से ज्यादा होने का खमियाजा उसे 200 रुपये देकर चुकाना पड़ता है। क्या उचित है। इस बारे में उनका कहना था कि यह रेलवे विभाग की तरफ से तय किया गया है। साथ में इस चार्ज को लेकर ठेकेदार के मौके पर खड़े कर्मचारी गोपाल कुमार का कहना है कि जिसको टाइम लगे वह पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने जा सकता है। 20 रुपये में वहां 2 घंटे गाड़ी पार्क कर सकता है। इसकी लेकिन सच्चाई अलग है जो मेन डोर से तीन गेट बनाए गए है। यात्री का कहना है कि अगर वह गाड़ी रोकर अपने यात्रियों को लेने आएगा तो ५ मिनट तो वहीं पूरे हो जाएंगे यदि वह दो घंटे की पार्किंग में जाने चाहेगा तो गाड़ी फिर पूरी पार्किंग का चक्कर लगाकर लानी पड़ेगा जब कि ६ मिनट के ५० रुपए लग जाएंगे और बाद में फिर २० रुपए वाली पार्किंग में अपना वाहन खड़ा कर सकता है। ऐसा कोई समाधान नहीं है कि वहीं पर गाड़ी पार्किंग के अंदर खड़ी कर सके।
और यदि एग्जिट गेट पर यात्री ठेकेदार से उलझ रहा होता है तभी यात्री पर कारिंदे 6 मिनट के बाद 50 और 15 मिनट के बाद 16वें मिनट में 200 रुपए वसूल लेते हैं। ये पैसे नहीं देने वालों के साथ विवाद बढ़ जाता है।
15 मिनट लगना मामूली बात
एक यात्री ने कहा कि ट्रेन आती है तो 2 मिनट पहले पहुंचना जरूरी है। यात्री को लेने वाला स्टेशन के नजदीक जाता या प्लेटफार्म पर बुजुर्ग, बच्चों या बीमार व्यक्ति को लेने जाएगा तो कम से कम 15 मिनट लगना तो मामूली बात है, उसके लिए न तो कोई मानने को तैयार है और पार्किंग कारिंदों को यात्री की सुविधा से कोई लेना देना नहीं है। यात्री ने कहा कि एक बार मुफ्त छह मिनट की खिडक़ी का उल्लंघन होने पर, लोगों से 15 मिनट तक 50 रुपये का शुल्क लिया जाता है। इसके बाद ड्राइवरों पर 200 रुपये शुल्क लगाया जाता है। प्राइवेट या कमर्शियल वाहनों को पहले छह मिनट के लिए 20 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। एक अलग पार्किंग स्थल है जहां 20 रुपये का शुल्क लिया जाता है, लेकिन अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।
पिक एंड ड्राप का टाइम बढ़ाया जाए
कुछ दिन पहले, सिस्टम में मामूली संशोधन किए गए थे, लेकिन ये जमीन पर नही दिख रहे हैं। रेलवे अधिकारियों ने पहले प्रवेश के बीच वाहनों के लिए तीन लेन की शुरुआत की थी और निकास पॉइंट सरकारी/निजी, वाणिज्यिक और पार्किंग वाहनों के लिए एक-एक लेन थी। भीड़ के दौरान, तीन लेन को चार लेन में बदल दिया जाता है। एक लेन अक्सर खाली पाई जाती है, जबकि अन्य पर भीड़ होती है। ये हालात देखते हुए फ्री पार्किंग का समय बढ़ाया जाना चाहिए।
पार्किंग प्रबंधकों की दलील: पार्किंग प्रबंधक व कारिंदे भी मानते हैं जुर्माने को नाजायज
पार्किंग के प्रबंधको विनय महेंद्र ू से पूछा गया कि क्या यह जुर्माना उचित है तो उनका स्पष्ट कहना था कि हम इसमें कुछ नहीं कह सकते। रेलवे विभाग की तरफ से निर्धारित किया गया है। साथ ही उनका कहना था कि लोग पब्लिक पार्किंग में वाहन खड़ा कर सकते हैं जिससे 2 घंटे के लिए किराया 20 रुपए हैं और 24 घंटों के लिए 40 रुपए है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या कोई भी बुजुर्ग या महिला बच्चों के साथ आती है तो उसे निकट संबंधी लेने आता है तो क्या छह मिनट में वे बाहर जा सकते हैं, इस पर मैनेजर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह असंभव है।
लोगों की आपबीती
स्टेशन पर सरेआम धांधली हो रही है और स्टेशन प्रशासन कुछ भी नहीं कर पा रहा है। क्या रेलवे अपने ही यात्रियों को अनदेखा कर रहा है, या पार्किंग कांट्रेक्टर के सामने रेलवे खुद असमर्थ हो गया है।
--नरिंदर शर्मा
सीनियर सिटीजन
हॉलैंड से अपने माता-पिता के पास आई बेटी को स्टेशन लेने आए निकट संबंधी का कहना था कि बेटी के साथ उनका नाती भी थी। सामान भारी था। उनकी गाड़ी वीआईपी पार्किंग में खड़ी थी। वे बेटी व नाती को कार में बिठाकर लाए तो मामूली सी बात है उन्हें 10 से 12 मिनट का समय लगा। आगे वीआईपी गाडिय़ों की लाइन लगी थी। वे जैसे ही गाड़ी निकालने लगे तो कारिंदे ने पर्ची मांगी साथ ही 200 रुपए भी मांग लिए। जब उनसे पूछा गया कि 200 रुपये किस बात के। तो कारिंदे का कहना था कि उन्हें स्टेशन पर पर्ची कटे हुए 15 मिनट बीत चुके हैं तो 200 रुपए देने होंगे। हैरानी की बात यह है कि उनके आगे भी अधिकतर लोग इसी बात को लेकर कारिंदों से उलझते दिखे।
क्या कहते हैं सीनियर सिटिजंस
पंचकूला के सीनियर सीटिजन वेलफेयर कौंसिल के अध्यक्ष एसके नैय्यर ने इसकी सख्त आलोचना करते हुए कहा कि रेलवे मंत्रालय को ये धक्काशाही बंद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक बार मुफ्त छह मिनट के बाद मीटर 50 रुपए का घूमना शुरू हो जाता है व 15 मिनट के बाद 200 रुपए का मीटर घूमता है। इस प्रकार जो यह मीटर घूमता है बिलकुल गलत है।
डीआरएम ने भी ठीक करने के दिए थे निर्देश
लोगों को पेश आ रही समस्याओं को देखते हुए अंबाला डीआरएम मनदीप सिंह भाटिया ने पिछले दिनों रेलवे स्टेशन पर हुए सुधारों को सकारात्मक बताते हुए कहा था कि जो कमियां रह गई हैं उन्हें भी जल्द दूर करने की कोशिश की जाएगी।
कांग्रेस ने भी दिया था धरना
चंडीगढ़ युवा कांग्रेस अध्यक्ष मनोज लुभाना के नेतृत्व में पार्किंग की समस्या को लेकर धरना दिया गया था। मनोज लुभना का कहना है कि इस मामले को लेकर पुन: रेलवे विभाग के अधिकारियों से बैठक करेंगे।
पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के लिए एक और रास्ता चाहिए
रेलवे स्टेशन पर खड़े कई यात्रियों ने अर्थ प्रकाश से बातचीत करते हुए बताया कि इस समस्या का काफी हद तक समाधान जब संभव हो सकता है जब दो घंटे की पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के लिए एक और रास्ता बनाया जाए ताकि वीआईपी की गाडिय़ां से लगने वाली भीड़ से छुटकारा पाने के लिए जिन यात्रियों को 15 मिनट से देरी लग रही है तो पूरी गाड़ी घुमाकर लाने की बजाय दूसरे गेट से अपनी गाड़ी खड़ी कर सकें।